Rishabh Pant Accident : ऋषभ पंत के एक्सीडेंट वाली जगह पहुंची फोरेंसिक टीम

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Rishabh Pant Accident

रुड़की: Rishabh Pant Accident शुक्रवार को भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत नारसन कस्बे में जिस जगह सड़क हादसे में घायल हुए थे। फॉरेंसिक टीम वहां जाकर हादसों की वजह तलाश करने पहुंची।

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रातों-रात एनएच के अधिकारियों ने संकेतक पोल लगाया

वहीं नारसन में जिस जगह क्रिकेटर ऋषभ पंत की कार का एक्सीडेंट हुआ है। उससे करीब 150 मीटर पहले तांशीपुर-खेड़ाजट राजवाहा है। राजवाहा की पटरी का एक कोना राजमार्ग को छू रहा है। भूमि उपलब्ध नहीं होने के चलते यहां पर सर्विस रोड का निर्माण भी नहीं हो सका है।

इतना ही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से यहां पर कोई चेतावनीसूचक बोर्ड तक नहीं है। शुक्रवार को अधिकारियों ने भी यहां का दौरा किया था। सड़क हादसे के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की नींद भी टूटी है। इसके बाद इस स्थान पर रात में ही एक चेतावनीसूचक बोर्ड लगा दिया गया है।

छानबीन में जुटी लाइव फाउंडेशन की टीम

हादसे के मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन काम करने वाले लाइव फाउंडेशन की टीम ने घटनास्थल की बारीकी से छानबीन शुरू कर दी है। टीम 11 प्‍वाइंट पर जानकारी जुटा रही है। साथ ही इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से भी बातचीत की जा रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया है।

देहरादून से जांच करने के लिए आरटीओ पहुंचे नारसन

शनिवार को देहरादून से आरटीओ शैलेश तिवारी टीम के साथ नारसन बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल (Rishabh Pant Accident) का निरीक्षण किया है और गाड़ी का टेक्निकल मुआयना किया गया है। गाड़ी बुरी तरह से जल जाने की वजह से यह पता नहीं लग पा रहा है कि गाड़ी की स्पीड कितनी थी।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिला है। प्रथम दृष्टया जो ऋषभ पंत (Rishabh Pant Accident) ने बताया है उसी को हादसे का कारण मान रहे हैं। अभी झपकी आने की वजह से दुर्घटना हुई माना जा रहा है। कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं है, जिससे स्पीड के बारे में सही जानकारी मिल सके।

आरटीओ शैलेश तिवारी ने बताया कि परिवहन विभाग अब नारसन बॉर्डर से लेकर हरिद्वार के सिंहद्वार तक रोड सेफ्टी ऑडिट करेगा। कहां पर क्या-क्या खामी है? उसका बारीकी से अध्ययन करते हुए अपनी एक रिपोर्ट शासन को भेजेगा, ताकि यातायात को और सुगमऔर सुरक्षित बनाया जा सके।

प्रदेश में कुल 165 ब्लैक स्पाट

प्रदेश में दुर्घटना के लिहाज से राष्ट्रीय राजमार्ग सबसे अधिक संवेदनशील हैं। प्रदेश के कुल 165 ब्लैक स्पाट में से 120 ब्लैक स्पाट राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही हैं। चिह्नित होने के बावजूद ये ब्लैक स्पाट अभी तक पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो पाए हैं।

प्रदेश में 41 ब्लैक स्पाट ऐसे हैं, जिनमें दीर्घकालिक सुधार की आवश्यकता है। इनमें भी 37 राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही हैं। अब इन्हें दुरुस्त करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। इनके सुधार में हो रही देरी दुर्घटनाओं का न्यौता दे रही है।

प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा प्रति वर्ष बढ़ रहा है। सड़कों के जिस स्थान पर पांच से अधिक दुर्घटनाएं और इतनी ही मौत होती हैं, उन्हें ब्लैक स्पाट कहा जाता है। शुक्रवार सुबह जिस स्थान पर क्रिकेटर ऋषभ पंत (Rishabh Pant Accident) की कार दुर्घटनाग्रस्त हुई, वह ब्लैक स्पाट से दो सौ मीटर आगे है।

कुल 165 ब्लैक स्पाट चिह्नित

प्रदेश में वर्ष 2013 से ब्लैक स्पाट को चिह्नित करने का कार्य चल रहा है। अब तक पुलिस, लोक निर्माण विभाग और परिवहन विभाग कुल 165 ब्लैक स्पाट चिह्नित कर चुके हैं। इसके अलावा 616 दुर्घटना संभावित स्थल भी चिह्नित किए गए हैं। इनमें 334 राष्ट्रीय राजमार्ग पर हैं।

आंकड़ों से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय राजमार्ग दुर्घटना के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। इसका एक कारण यह भी है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहन तेज गति से चलते हैं। सड़क के डिजाइन में थोड़ी सी भी खामी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन ब्लैक स्पाट को दुरुस्त करने के निर्देश दे चुके हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में इन्हें दुरुस्त करने को लघुकालीन सुधार तो किए गए हैं, लेकिन इनके लिए दीर्घकालीन योजनाएं बनाई जानी बाकी हैं।

प्रदेश में ब्लैक स्पाट की स्थिति

जिला -संख्या -अवशेष
देहरादून – 49 – 15
हरिद्वार – 40 – 05
ऊधमसिंह नगर – 39 – 10
चमोली – 02 – 00
टिहरी गढ़वाल – 07- 00
पौड़ी – 02 – 00
अल्मोड़ा – 02 – 00
नैनीताल – 16- 11
पिथौरागढ़ – 03 – 00
उत्तरकाशी – 04 – 00
चंपावत – 01 – 00
रुद्रप्रयाग – 00 – 00
बागेश्वर – 00 – 00
कुल योग – 165 – 41

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