Gyanvapi Masjid case: वाराणसी जिला जज की अदालत में कार्यवाही पूरी

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वाराणसी। Gyanvapi Masjid case:  ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में दाखिल मुकदमा किस ओर जाएगा यह आज पता चलेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में चल रहे मुकदमे में प्रतिवादी पक्ष चाहता है कि सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई हो। ताकि यह मुकदमा सुनने लायक है या नहीं यह पहले तय हो जाए। वहीं वादी पक्ष चाहता है कि अभी तक हुई एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही पर सुनवाई पहले हो। ताकि इसके आगे कोई निर्णय हो सके। वहीं कोर्ट रूम में कुल 32 लोगों की मौजूदगी रही।

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26 मई की तिथि अदालत की ओर से तय की गई

मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका मामले में मुकदमे की पोषणीयता पर 26 मई की तिथि अदालत की ओर से तय की गई है। अब 26 मई को आर्डर 7 रुल 11 पर सुनवाई के साथ ही वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी की कॉपी भी दी जाएगी। इसी दिन यह भी तय होगा कि किन-किन याचिकाओं पर सुनवाई की जानी है। वहीं अदालत ने निर्देश दिया है कि अगले सात दिन में एडवोकेट कमिश्‍नर की कार्यवाही पर दोनों पक्ष अपनी आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं।

ज्ञानवापी प्रकरण में जिला जज की अदालत में दोपहर 2.30 बजे तय समय पर सुनवाई शुरू हो गई। वहीं सुबह ही अदालत परिसर में पुलिस कमिश्‍नर ने दौरा कर सुरक्षा व्‍यवस्‍था का जायजा लेने के साथ ही अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। जबकि दोपहर दो बजे से कोर्टरूम खाली करा दिया गया। सुनवाई के दौरान वहां पर केवल जिला जज और दोनों पक्षों के वकील ही कोर्टरूम में मौजूद रहेंगे। इसके अतिरिक्‍त कोई भी व्‍यक्ति कोर्टरूम में नहीं रह सकता है। इसके बाद जिला जज के निर्देशों के अनुरूप ही कोर्ट रूम को खाली कराने के बाद सुनवाई की प्रकिया शुरू की गई। वहीं ज्ञानवापी पर वाराणसी जिला कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid case) में कोई शिवलिंग नहीं है, बल्कि वहां पर सिर्फ फव्वारा ही है।

प्राथमिकता के आधार पर मुकदमे की पोषणीयता पर पहले सुनवाई

एक दिन पहले सोमवार को हुई सुनवाई में जिला जज की अदालत में वादी पक्ष की ओर से कहा गया कि पहले एडवोकेटेक कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई हो। कमीशन की कार्यवाही के समय फोटो लिए गए हैं और वीडियो भी बनाए गए हैं जो न्यायालय में सील पैक हैं। कमीशन रिपोर्ट के साथ ही इसके वीडियो और फोटो का अवलोकन किए बगैर आपत्ति करना और न करना दोनों ही स्थिति में न्याय संगत न होगा। इसलिए वादीगण को कमीशन रिपोर्ट के साथ दाखिल वीडियो और फोटो की नकल देने का आदेश दिया जाए। वहीं प्रतिवादी पक्ष ने अदालत से गुहार लगाई कि सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई की जाए। अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्राथमिकता के आधार पर मुकदमे की पोषणीयता पर पहले सुनवाई की जाए।

इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने भी जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया। उनका कहना है कि मस्जिद के तहखाने में बाबा विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग है। इनके पूजा-अर्चना अराधना व स्नान, मंत्रोच्चारण, साफ-सफाई व भोग आदि का अधिकार उन्हें दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने मुकदमे में पक्षकार बनाने की मांग की है। प्रार्थना पत्र में उल्लेख किया है कि उनके पूर्वजों को अहिल्याबाई ने बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा -पाठ व सेवा इत्यादि करने का अधिकार दिया था।

मुस्लिम पक्ष की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid case) की सुनवाई जिला जज को आठ सप्‍ताह में पूरी करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात निर्देश जारी किया है कि मस्जिद कमेटी की सिविल प्रोसीजर कोड के आर्डर 7 रूल नंबर 11 (Order VII Rule 11) के तहत दायर याचिका पर भी अदालत सुनवाई करे। ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 के अनुसार कोर्ट किसी केस में तथ्यों की मेरिट पर विचार करने के पूर्व पहले यह तय करती है कि क्या दायर याचिका सुनवाई करने लायक है अथवा नहीं। इसके लिए मुस्लिम पक्ष वर्शिप एक्‍ट 1991 का भी हवाला दे रहा है कि अब मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का कोई दावा नहीं बनता है।

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