Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 30 मई को होगी सुनवाई

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वाराणसी Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत सुनवाई कर सकती है या नहीं इस मामले में वर्शिप एक्‍ट 1991 को लेकर जिला जज की अदालत में प्रकरण की पोषणीयता को लेकर अदालत पर सुनवाई होनी है। संभव है इस मामले को लेकर अदालत किसी निर्णय पर भी पहुंच जाए। इस लिहाज से वाराणसी ही नहीं बल्कि देश के इस चर्चित मामले में केस को लेकर लोगों की निगाह जिला जज की अदालत पर लगी हुई है। वहीं डेढ़ घंटे तक सुनवाई के बाद ज्ञानवापी केस में गुरुवार की सुनवाई चार बजे खत्म हो गई। वहीं जिला जज की अदालत ने अब इस मामले में 30 मई, सोमवार को अगली सुनवाई की तिथि दी है।

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चार बजे डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद अदालत की कार्यवाही खत्‍म

तय समय पर दोपहर ढाई बजे के बाद जिरह शुरु हुई तो दोनों पक्षों ने तर्क और दस्‍तावेजों को सामने रखा। इस दौरान आधे घंटे तक मुस्लिम पक्ष की ओर से जिरह की गई। इसके बाद हिंदू पक्ष की ओर से विष्‍णु जैन ने अदालत को प्राप्‍त शिवलिंग और उसकी सुरक्षा को लेकर अदालत को जानकारी दी है। उन्‍होंने कोर्ट को शिवलिंग से छेड़छाड़ किए जाने का भी आरोप लगाया है। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) में 1991 के पूर्व भी शृंगार गौरी के पूजन की जानकारी देते हुए वर्शिप एक्‍ट से अलग मामला बताया। इसके बाद शाम चार बजे डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद अदालत की कार्यवाही खत्‍म हो गई।

ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण (Gyanvapi Case) में मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई 26 मई से जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हो रही है। वादी और प्रतिवादी पक्ष की ओर से इसकी तैयारी एक दिन पूर्व से चल रही थी। दोनों ओर से दिए जाने वाले साक्ष्य और दलीलों से मुकदमे का अस्तित्व तय हो पाएगा। प्रतिवादी पक्ष यह साबित करने सफल रहा कि मुकदमा पोषणीय नहीं है तो अभी तक हुई सारी कार्यवाही यहीं रुक जाएगी। वहीं वादी पक्ष अदालत को यह बताने में सफल रहा कि मुकदमा सुनने योग्य है तो सुनवाई आगे बढ़ेगी। मुकदमे की सुनवाई के बाद निचली अदालत का जो फैसला होगा उस पर दोनों पक्षों के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खुला है।

जिला जज की अदालत में मुकदमे की पोषणीयता पर होने वाली सुनवाई

जिला जज की अदालत में मुकदमे की पोषणीयता पर होने वाली सुनवाई में अपनी बात रखने का मौका सबसे पहले प्रतिवादी पक्ष को मिलेगा। इनकी ही मांग थी कि सबसे पहले अदालत यह तय करें कि मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश था। प्रतिवादी पक्ष जब अपनी दलील पूरी कर लेगा तो वादी पक्ष को मौका मिलेगा। इसे लेकर दोनों पक्षों ने जोरदार तैयारी की है।

प्रतिवादी पक्ष के वकील अभयनाथ यादव का कहना है कि हमने अपनी तरफ से पूरी तैयारी की है। कहा कि हमारे पास अदालत के सामने रखने के तमाम साक्ष्य व नजीर हैं। इससे मैं साबित कर दूंगा मुकदमा पोषणीय नहीं है। इस पर तो पहले ही सुनवाई होनी चाहिए थी। तब मुकदमा आगे बढ़ता ही नहीं। वहीं वादी पक्ष ने अपनी तैयारी की है। वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि यह मुकदमा अब तक इतना आगे बढ़ गया है कि पोषणीयता का मामला ही नहीं रह जाता है। मुकदमे को लेकर हमारा दावा पक्का है। इसे हम अदालत में भी साबित करेंगे। मुकदमे में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन आ सकते हैं। हालांकि उनकी सेहत ठीक नहीं है। इस दौरान वकील विष्णु जैन साथ में मौजूद रहे।

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