देहरादून: Uttarakhand Cabinet भूधंसाव से अस्तित्व संकट का सामना कर रहे जोशीमठ को बचाने और स्थानीय नागरिकों के पुनर्वास को सरकार ने रणनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है।
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जोशीमठ प्रभावितों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए
धंसाव के लिए अब तक बड़े कारण के रूप में अलकनंदा नदी से जोशीमठ की तलहटी में हो रहे कटाव (टो इरोजन) को आंका गया है। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल की शुक्रवार को होने वाली बैठक में जोशीमठ प्रभावितों के लिए और टो इरोजन रोकने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
आज हुई बैठक में प्रभावितों को बड़ी राहत देते हुए प्रभावितों द्वारा सहकारिता से लिए गए ऋण की किस्त एक साल के लिए माफ कर दी गई है। वहीं राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक लोन की किस्त को एक साल माफ करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा। वहीं सरकार ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने को पेपरलीक मामले में सख्त कानून लाएगी। इसे लेकर आज बैठक के दौरान चर्चा हुई। इसके साथ ही राज्य कैबिनेट की बैठक (Uttarakhand Cabinet) में और भी कई महत्वूपर्ण लिए गए।
जोशीमठ भूधंसाव संबंध में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले (Uttarakhand Cabinet)
बैठक में राहत शिविरों को लेकर मानक तय
वास्तविक रेंट या 950 रुपए प्रतिदिन अधिकतम तय
450 रुपए खाने के लिए प्रति व्यक्ति प्रति दिन तय
पुनर्वास को लेकर कोटि फार्म, पीपलकोटी, गौचर, ढाक और एक अन्य स्थान चिन्हित
किराया राशि को 4000 से बढ़ाकर 5000 किया गया
भारत सरकार से एक सप्ताह के भीतर राहत पैकेज का प्रस्ताव भेजा जाएगा
विस्थापित परिवारों को जिंदगी बसर के लिए एसडीआरएफ की गाइडलाइन के अनुसार परिवार के दो व्यक्ति को मनरेगा के नियमानुसार मजदूरी दी जाएगी
पशुओं के लिए 15000 रुपये विस्थापन और 80 रुपए प्रतिदिन चारे के लिए तय
बिजली पानी के बिल नवंबर माह से अगले 06 माह के लिए माफ
राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक लोन की किस्त को एक साल माफ करने के लिए केंद्र को भेजेंगे प्रस्ताव
सहकारिता से लिए गए ऋण की किस्त एक साल के लिए माफ
आपदा प्रबंधन विभाग पहाड़ी शहरों की धारण क्षमता की करेगी जांच
पेपरलीक मामले में सरकार सख्त कानून लाएगी सरकार
मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने बताया कि कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार द्वारा शीघ्र ही एक सख्त नकल विरोधी कानून लाया जाएगा, जिसमें दोषी को उम्रकैद तक की सजा का प्रविधान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा लेखपाल की परीक्षा को दोबारा आयोजित किया जाएगा। जिन अभ्यर्थियों ने पूर्व में इसके लिए आवेदन किया है, उन्हें दोबारा आवेदन नहीं करना होगा। न ही इसके लिए कोई फीस देनी होगी।
साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में अभ्यर्थियों को किराया नहीं देना होगा, अभ्यर्थियों का प्रवेश पत्र ही उनका बसों में टिकट माना जाएगा।
राज्य सरकार की मशीनरी और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड में
जोशीमठ में बीती दो जनवरी से भूधंसाव की विकट स्थिति सामने आने के बाद राज्य सरकार की मशीनरी और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं। शहर और शहरवासियों की सुरक्षा को विभिन्न स्तर पर फौरी कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।
साथ में राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय संस्थानों के स्तर से भूधंसाव के कारणों की पड़ताल भी की जा रही है। अभी तक प्रारंभिक तौर पर जो भी निष्कर्ष सामने आए हैं, उन पर अब मंत्रिमंडल की मुहर लगेगी।
आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत सिन्हा ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया था कि जोशीमठ की सुरक्षा और पुनर्वास को लेकर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक (Uttarakhand Cabinet) में अहम निर्णय लिए जाएंगे।
पुनर्वास के लिए चिह्नित किए जा रहे स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण होगा। जोशीमठ में ड्रेनेज संबंधित कार्यों और टो-इरोजन की रोकथाम को ईपीसी मोड में तत्काल कार्य प्रारंभ करने को सिंचाई विभाग से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसमें प्रस्तावित एकल स्रोत की संस्था नामित करने को पत्रावली वित्त को भेजी गई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग (आइआइआरएस) लैंड मूवमेंट के सेटेलाइट फोटो उपलब्ध कराए जाएंगे।
जीएसआइ प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन किया जा रहा है।
वाडिया हिमालय भूवैज्ञानिक संस्थान क्षेत्र का भूकंपीय दृष्टि से अध्ययन कर रहा है। तीन भूकंपीय स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भूमिगत उप सतही सर्वेक्षण के भू-भौतिकीय अन्वेषण शुरू किया गया है।
डा सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन कर रहा है। इसका हाइड्रोलाजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जाएगा।
एनजीआरआइ की टीम शुक्रवार को जोशीमठ पहुंच रही है। यह भूमिगत जल चैनल का अध्ययन करेगी।
जोखिम मूल्यांकन को सीबीआरआइ, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआइ, आइआइआरएस व एनजीआरआइ की समिति गठित की गई है।
सीबीआरआइ के साथ लोक निर्माण विभाग के 30 अभियंताओं की टीम भी लगाई है। सीबीआरआइ ध्वस्तीकरण से नुकसान का आकलन, ध्वस्त किए जाने वाले आवासों की निगरानी और अस्थायी पुनर्वास को प्री फैब हट की डिजायन तैयार किया जा रहा है। सीबीआरआइ की टीम जोशीमठ पहुंचकर क्षतिग्रस्त भवनों के सर्वेक्षण में जुट गई है।
जोशीमठ में प्रारंभ में जल रिसाव 540 एलपीएम था। यह अब घटकर 240 एलपीएम हो गया है।
धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए सेना, आइटीबीपी के हेलीकाप्टर तैनात किए गए हैं।
एनडीआरएफ की दो टीम तैनात हैं, जबकि जोशीमठ के लिए और एक टुकड़ी रवाना की जा रही है। जोशीमठ में एसडीआरएफ की आठ टुकडिय़ां तैनात की गई हैं।
प्रभावितों को प्रति परिवार 5000 रुपये घरेलू राहत सामग्री के लिए दिए गए हैं।
अभी तक कुल 73 प्रभावितों को यह राशि दी गई है।
अधिक या पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के लिए 10 प्रभावितों को 13 लाख रुपये, 4000 रुपये प्रति परिवार की दर से तीन परिवारों को 12 हजार रुपये वितरित किए गए हैं।
विस्थापित परिवारों की संख्या 169
आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों के विस्थापित परिवारों की संख्या बढ़कर 169 हो गई है। इनकी कुल सदस्य संख्या 589 है। अस्थायी शिविर के लिए जोशीमठ में चयनित 344 कक्षों में 1425 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है।
पीपलकोटी में 491 कक्षों में 2205 व्यक्ति ठहर सकेंगे। चार वार्डों गांधीनगर वार्ड संख्या-एक, सिंहधार वार्ड संख्या-चार, मनोहर बाग वार्ड संख्या-पांच और सुनील वार्ड संख्या-सात और उनके 128 भवन असुरक्षित घोषित किए गए हैं।
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