देहरादून: Kedarnath Dham Yatra उत्तराखंड में शुरू हुई चार धाम यात्रा में अव्यवस्था का आलम चरम पर है। 3 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हुई। 6 मई को केदारनाथ धाम और रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धाम में श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हो गया है। कोविड संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद भक्तों के लिए जैसे ही यात्रा शुरू हुई तो भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तराखंड सरकार को पहले से अंदाजा था कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा होगा। इसके लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी से लेकर मंत्री सतपाल महाराज तक ने दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशा-निर्देशों को भुला दिया गया है। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। वहीं, स्वास्थ्य जांच की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है। आलम यह है कि चार धाम यात्रा शुरू होने के 6 दिनों में ही 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।
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बिना स्वास्थ्य जांच के आने वाले तीर्थयात्रियों को भी यात्रा की मंजूरी
प्रशासनिक स्तर पर सभी तीर्थयात्रियों को पूरी स्वास्थ्य जांच के साथ ही यात्रा पर आने का निर्देश दिया गया है। चार धाम की दुरूह यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को पूर्ण स्वस्थ होना जरूरी है। ऐसे में बिना स्वास्थ्य जांच के आने वाले तीर्थयात्रियों को भी यात्रा की मंजूरी दे दी जा रही है। इसके लिए तीर्थयात्रियों को एक शपथ पत्र देना होता है कि अगर तीर्थ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की विषम स्थिति उत्पन्न होती है या जान चली जाती है तो इसका जिम्मेदार वे स्वयं होंगे। इसमें प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी। ऐसे शपथ पत्र के जरिए तीर्थयात्रियों की मौतों से पल्ला कैसे झाड़ा जा सकता है? प्रशासन और सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है। वहीं, आम तीर्थ यात्री भी यात्रा के उत्साह के नियमों को तार-तार करने में जुटे हैं। तीर्थ यात्रा को लेकर यह अव्यवस्था लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।
पुलिस पर उठे हैं सवाल
केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Dham Yatra) के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं। तेज आवाज में आंख दिखाकर बोलने से लेकर अभद्रता, धक्का मारने और लाठी दिखाने से यात्रियों में पुलिस को लेकर गुस्सा बढ़ा हुआ है। कपाटोद्घाटन पर मंदिर के वीआईपी गेट पर यात्रियों के साथ पुलिस जवानों द्वारा की गई धक्कामुक्की से आहत भक्त बिना दर्शन के ही वापस लौटे। 6 मई को ही जिस प्रकार की भीड़ उमड़ी थी, उसको लेकर व्यवस्था नजर नहीं आई। एक यात्री ने बताया कि उन्हें तीन बार धक्का मारकर पीछे हटाया। साधुओं के साथ भी इसी प्रकार का व्यवहार पुलिस वाले करते नजर आए। साधु ने गुस्से में इसे बाबा केदार का अपमान करार दिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने माफी मांगी।
लगातार हो रही है मौत
चार धाम यात्रा (Kedarnath Dham Yatra) के दौरान श्रद्धालुओं की लगातार मौत के मामले सामने आ रहे हैं। समुद्र तल से 10 हजार से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर यात्रा के कारण श्रद्धालुओं को हृदय गति रुकने से मौत के मामले बढ़ रहे हैं। कोविड के पहले तीर्थयात्रियों के लिए हेल्थ फिटनेस सर्टिफिकेट अब तक अनिवार्य नहीं किए गए हैं। इस कारण परेशानी बढ़ रही है। सरकार की ओर से तीर्थयात्रियों की संख्या को लेकर घोषणा तो की है, लेकिन कैप लगाने के मामले पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस वर्ष तो कोविड वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट और कोविड निगेटिव सर्टिफकेट को भी अनिवार्य नहीं किया गया है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मौत के कई कारण हो सकते हैं।
मौत का क्या है कारण?
उत्तरकाशी के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. केएस चौहान का कहना है कि श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर अब तक कोई रोक नहीं लगाई गई है। इस कारण चेक पोस्ट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। लोग स्वास्थ्य जांच नहीं करा रहे हैं। सीएमओ ने कहा कि अगर कोई अनफिट पाया जाता है तो वह किसी विषम परिस्थिति के लिए खुद को जिम्मेदार घोषित करने का अंडरटेकिंग देने को तैयार हो जाता है। रुद्रप्रयाग के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बीके शुक्ला ने कहा कि अधिकांश मौत का कारण हॉर्ट अटैक है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ब्लड प्रेसर और शुगर जैसी समस्याओं के कारण इस प्रकार की स्थिति झेलनी पड़ रही है।
जल्द अनिवार्य होगा हेल्थ सर्टिफिकेट
चार धाम यात्रा (Kedarnath Dham Yatra) में मौत के बढ़ते मामलों के बाद उत्तराखंड सरकार की ओर से इस दिशा में प्रयास शुरू हुए हैं। उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों और दूरदराज से आने वाले तीर्थयात्री मान लेते हैं कि वे इस ट्रैक को भी आसानी से पार कर लेंगे। हालांकि, यहां तापमान, ऊंचाई और ऑक्सीजन के स्तर में अंतर है। मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पहले से ही तीर्थ यात्रा के रूट में बेहतर स्वास्थ्य इंतजाम किए हैं। सभी चारों धाम में यह व्यवस्था की गई है। मैंने खुद चारों तीर्थस्थल पर दो अतिरिक्त हाईटेक एंबुलेंस की तैनाती का निर्देश दिया है। हम जल्द ही तीर्थयात्रियों को अपने संबंधित राज्यों से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र लेकर आने के लिए कहेंगे। खासकर 60 वर्ष से अधिक आयु के तीर्थयात्रियों के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा।
यमुनोत्री में सबसे अधिक मौत
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 8 तीर्थयात्रियों की मौत यमुनोत्री धाम में हुई है। इसके बाद केदारनाथ धाम में 5, गंगोत्री धाम में 2 और बद्रीनाथ धाम में 1 तीर्थयात्री की मौत हुई है। मरने वालों में 13 पुरुष और 3 महिलाएं थीं। मृतक तीर्थयात्रियों में पांच उत्तर प्रदेश, चार गुजरात, दो महाराष्ट्र, दो मध्य प्रदेश और एक-एक राजस्थान, हरियाणा और नेपाल के थे। वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 38 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा की थी। उस दौरान 91 तीर्थयात्रियों की मृत्यु मुख्य रूप से हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुई थी। इस दौरान स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य थे। 2020 और 2021 में तीर्थ यात्रा सीमित दायरे में हुई तो मौत के मामले नहीं आए। वर्ष 2017 में 112 तो 2018 में 102 तीर्थयात्रियों की जान गई थी।
लोग लगा रहे अव्यवस्था का आरोप
तीर्थयात्रा पर निकले लोग अव्यवस्था का आरोप लगा रहे हैं। तीर्थयात्री कुमार गौरव अग्रवाल ने बताया कि दो दिन पहले हमारी बस चार धाम यात्रा पर जाने के दौरान खराब हो गई। स्थानीय पुलिस और प्रशासन से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। हमलोगों को भूखे-प्यासे रहना पड़ा। वहीं, केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले एक तीर्थयात्री ने बताया कि हर रोज 10 से 12 हजार लोगों के यहां दर्शन करने आने की बात कही जा रही है, लेकिन तीन गुना अधिक तीर्थयात्री रोज पहुंच रहे हैं।
यात्रा मार्ग पर जाम की समस्या ने बढ़ाई है दिक्कत
यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ने से यात्रा मार्ग पर जाम की समस्या ने दिक्कत बढ़ा दी है। गंगोत्री धाम तक औसतन 600 और यमुनोत्री धाम तक 550 गाड़ियों की आवागमन हो रहा है। संकड़ी सड़क के कारण पालीगाड़ से लेकर जानकीचट्टी तक जगह-जगह जाम की स्थिति बन रही है। वहीं, यमुनोत्री हाइवे पर जंगलचट्टी से ओरछा बैंक तक जाम लग रहा है। चार धाम यात्रा (CharDham Yatra 2022) के दौरान तीर्थयात्रियों को सबसे अधिक परेशानी धूप और बारिश से हो रही है। रजिस्ट्रेशन केंद्र पर टिनशेड की व्यवस्था नहीं होने से मुश्किल बढ़ी है।
चरमराई है बिजली और संचार व्यवस्था
केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Dham Yatra) शुरू होते ही केदारघाटी में बिजली और संचार व्यवस्था चरमरा गई है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ तीर्थयात्रियों को इससे अधिक परेशानी हो रही है। तीर्थयात्री बिना बिजली के होटलों में कमरा लेने से कतरा रहे हैं। फाटा इलाके में बिजली बाधित होने से संचार व्यवस्था भी चरमरा गई है। होटल एसोसिएशन के नितिन जमलोकी ने कहा कि प्रशासन और निजी मोबाइल ऑपरेटरों को समस्या की जानकारी दी गई है। लेकिन, समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
चार धाम यात्रा पर निकलने से पहले रखें ख्याल
चार धाम यात्रा (CharDham Yatra 2022) पर निकल रहे हैं तो आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष ख्याल रखना होगा। काफी ऊंचाई पर तीर्थस्थल होने के कारण फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद ही यात्रा करें। बाबा केदारनाथ के लिए पैदल यात्रा शुरू करने से पहले गर्म कपड़े अवश्य पहनें। इसके साथ ही यात्रियों को अपने पास रेन कोट, छाता, टार्च भी साथ रखने की सलाह दी जाती है। यात्री पैदल मार्गों में किसी प्रकार की चिकित्सकीय आवश्यकता पड़ने पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर संपर्क कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह मेडिकल रिलीफ पोस्ट स्थापित किए हैं। किसी प्रकार की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करें।
भक्तों की भीड़ पर क्या बोले उत्तराखंड के डीजीपी
उत्तराखंड के DGP अशोक कुमार का कहना है कि पिछले 2 साल कोरोना के कारण यात्रा न होने के चलते इस बार भारी भीड़ आ रही है। इस बार हम पहली बार हमने केदारनाथ में फोर्स को सेक्टर जोन में बांटकर कोशिश कर रहे हैं कि व्यवस्था बनी रहे। उत्तराखंड सरकार ने चारधाम के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का सिस्टम बनाया है। जो लोग रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे उन्हें हमें रोकना पड़ सकता है इसलिए लोगों से अनुरोध है कि रजिस्ट्रेशन कराएं।
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