मुजफ्फरनगर। Uttar Pradesh Election 2022: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुजफ्फरनगर में समाजवादी पार्टी के ऊपर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि माफिया ने प्रदेश में अपना कब्जा जमाया था। आज जब मैं आया हूं तो कोई सुरक्षा की बात नहीं कर रहा है। 2017 में योगी सरकार बनने के बाद माफिया और अराजक तत्व बाउंड्री से बाहर हो गए। 2017 के बाद अब 2022 में आया हूं। सरकार का रिपोर्ट कार्ड साथ लेकर आया हूं। योगी सरकार ने गुंडा माफिया सबको बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सपा सरकार गुंडागर्दी बढ़ाती है। अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में लूट, हत्या, अपहरण, छेड़छाड़ में 70 फीसदी तक की भारी गिरावट आई है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि अमित शाह ने हमेशा हमारा साथ दिया। चाहे दंगे के बाद दर्ज मुकदमे हों या सपा सरकार में हुई ज्यादतियां। भारत माता की जय के नारे से शुरुआत अमित शाह ने की भाषण की शुरुआत। बोले 300 सीटों से ज्यादा लेकर फिर भाजपा की सरकार बनाएंगे। बहुत समय बाद मुजफ्फरनगर आया हूं सबके चहेरे देखने दो। मुजफ्फरनगर की वीर भूमि को नमन करता हूं।
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दंगों में आरोपितों को बना दिया था आरोपित
दूधली गांव के क्रांतिकारियों को याद करता हूं। आशाराम शर्मा के बलिदान और चौधरी चरण सिंह के आदेशों को नमन है। यहां 14, 17 और 19 के चुनाव मेरी नजरों के सामने हुए हैं। जब मैं उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना तभी मुजफ्फरनगर में दंगे हो गए। जो पीड़ित थे उन्हें आरोपित बना दिया और जो आरोपित थे उन्हें पीड़ित बना दिया। 2014 हो या 17 या फिर 19..यहीं मुजफ्फरनगर की धरती से लहर उठती है, जो था से उठकर काशी तक जाती है। इस बार भी यहीं से भाजपा की विजय की नीव डाली जाएगी। पहले यहां पर हर व्यक्ति को सिक्योरिटी की चिंता रहती थी। माफिया ने प्रदेश में अपना कब्जा जमाया था। आज जब मैं आया हूं तो कोई सुरक्षा की बात नहीं कर रहा है। 2017 में योगी सरकार बनने के बाद माफिया और अराजक तत्व बाउंड्री से बाहर हो गए। 2017 के बाद अब 2022 में आया हूं। सरकार का रिपोर्ट कार्ड साथ लेकर आया हूं। योगी सरकार ने गुंडा माफिया सबको बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सपा सरकार गुंडागर्दी बढ़ाती है। अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में लूट, हत्या, अपहरण, छेड़छाड़ में 70 फीसदी तक की भारी गिरावट आई है। मैंने अपना हिसाब दिया है। अखिलेश यादव अपने कार्यकाल के आंकड़े लेकर प्रेस वार्ता करें। लोकतंत्र में मत बहुत बड़ी ताकत है। सपा को वोट गया तो फिर माफिया का राज होगा। मुजफ्फरनगर के दंगे याद हैं कि नहीं। पुलिस ने एकतरफा कार्यवाही की।
Uttar Pradesh Election 2022: ऐसे सजाया गया शहर
वहीं दूसरी ओर गृह मंत्री अमित शाह के आगमन के मद्देनजर शिवचौक को गुब्बारों से सजाया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर शिव चौक, भगत सिंह रोड, नॉवेल्टी चौक तक भारी फोर्स तैनात है। एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय सुरक्षा की कमान संभाले हुए है। हालांकि सूचना आ रही है कि अचानक तेज कोहरा आने के कारण गृह मंत्री अमित शाह 12 बजे के बाद आएंगे। गृह मंत्री अमित शाह के आगमन के मद्देनजर भगत सिंह रोड पर पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है।
अखिलेश जयंत कब तक साथ-साथ
मैं बधाई देता हूं डाक्टर संजीव बालियान और यहां के संगठन को जो दंगा पीड़ितों के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। जिन्होंने सड़क से लेकर अदालत तक पीड़ितों की लड़ाई। क्या आप भूल गए। यदि इस बार गलती हुई तो फिर से दंगा कराने वाले का लखनऊ की गद्दी पर जा बैठेंगे। मित्रों, भाजपा ने यहां पर कानून का राज स्थापित किया है। कल अखिलेश और जयंत की प्रेस वार्ता हुई। वह कहते रहे कि हम साथ साथ हैं। लेकिन कब तक? अगर गलती से सरकार आ गई तो जयंत भाई निकल जायेंगे। फिर से अतीक अहमद और आजम खान दिखाई देंगे। यह वीरों की भूमि है। जाट समाज के बच्चे सुरक्षा बलों में दिखाई पड़ते हैं। कहीं भी जाओ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के युवा मिल जाएंगे। दस साल तक सोनिया -मनमोहन की सरकार थी। सपा बसपा का समर्थन था। दस साल तक देश की सरहद असुरक्षित थी। हमारे जवानों के सिर काट लिए जाते थे। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आतंकियों को लगा कि हम अब भी वही कर सकते हैं। पाकिस्तान मुगालते में था। उन्होंने हमले किए तो सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से जवाब मिला। सपा बसपा और कांग्रेस देश प्रदेश को सुरक्षित रख सकते हैं क्या? नहीं रख सकते। राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर कुछ नहीं किया गया। भाजपा सरकार में उनके नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय देने का काम हुआ। हमने दादी चंद्रो तोमर, बाबा टिकैत के नाम पर सड़कों का नामकरण किया। वह होते तो परिवारवाद से आगे नहीं बढ़ते। उन्हें तो सरदार पटेल से भी दिक्कत है। परिवारवादी पार्टियां विभूतियों का सम्मान नहीं कर सकती।
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