नई दिल्ली। Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में जिस तरह की आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां सामने आ रही हैं वो पड़ोसी देश होने के नाते भारत के लिए चिंता का विषय है। आर्थिक और राजनीतिक बदहाली का शिकार हुए श्रीलंका में सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने कई मंत्रियों और नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया। इन प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के मकसद से पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में पांच लोगों की मौत भी हो गई, जिसके बाद राजधानी समेत कई दूसरे इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा है। भारत श्रीलंका की स्थिति पर न सिर्फ नजर बनाए हुए हुए है बल्कि उसको आर्थिक और मानवीय मदद भी कर रहा है। यहां पर कुछ सवाल बेहद खास हैं जो लगातार सामने आ रहे हैं।
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कुछ बड़े सवाल
इनमें पहला सवाल है कि श्रीलंका की इस स्थिति का असर पर भारत पर क्या पड़ेगा। दूसरा सवाल है कि श्रीलंका क्या इस स्थिति से उबर पाएगा, यदि हां तो वो कैसे। तीसरा सवाल है कि श्रीलंका को इस मुश्किल दौर से बाहर निकालने में भारत की क्या भूमिका हो सकती है। आखिरी सवाल है कि क्या श्रीलंका की इस स्थिति का फायदा चीन उठाएगा। इन सभी सवालों के जवाब तलाशे जाने बेहद जरूरी हैं।
भारत की अहम भूमिका
दक्षिण एशिया की राजनीति पर नजर रखने वाले जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर बीआर दीपक ने इस सभी सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि श्रीलंका की ये स्थिति ज्यादा समय तक नहीं रहने वाली है। उनके मुताबिक श्रीलंका को इस स्थिति से निकालने में भारत एक अहम भूमिका निभा सकता है। इसके लिए भारत को न सिर्फ श्रीलंका को आर्थिक मदद करनी होगी बल्कि नई सरकार को बनाने में भी अपना योगदान देना होगा। बता दें कि श्रीलंका की मौजूदा सरकार को लेकर काफी समय से सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का दौर चल रहा है। प्रदर्शनकारी लगातार राष्ट्रपति से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं।
चीन को नापसंद करते हैं लोग
प्रोफेसर दीपक का कहना है कि गोटाबाया और राजपक्षे की चीन से करीबी ने देश को बदहाली की कगार पर पहुंचा दिया है। इसके अलावा उनकी गलत नीतियों की इसमें सबसे बड़ी भूमिका रही है। हालांकि, प्रोफेसर दीपक ये नहीं मानते हैं कि श्रीलंका की इस स्थिति का फायदा चीन उठाने में सफल हो पाएगा। उनका कहना है कि श्रीलंका के लोग हमेशा से ही भारत से एक करीबी रिश्ता रखते हैं। मौजूदा समय में भी उनकी निगाह भारत पर ही है। वो कभी नहीं चाहेंगे कि जिस चीन की वजह से उनका ये हाल हआ है वो चीन दोबारा इस तरफ का रुख करे। वहीं सरकार भी नहीं चाहेगी कि वो चीन के साथ दोबारा किसी तरह का मोह दिखाए।
जल्द संंभल जाएगा श्रीलंका
प्रोफेसर दीपक के मुताबिक श्रीलंका की इकनामिक ग्रोथ कुछ समय पहले तक काफी बेहतर रही है। ऐसे में मौजूदा संकट ज्यादा समय तक बना नहीं रह सकेगा। नई सरकार के बनने के बाद इस संकट के समाधान की संभावना अधिक होगी। नई सरकार के लिए दोबारा अपने पर्यटन को पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती जरूर सामने होगी। बता दें कि पर्यटन श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है।
भारत के लिए चीन की चुनौती
गौरतलब है कि श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट को चीन ने 99 वर्षों की लीज पर लिया हुआ है। हालांकि वो यहां पर अपना सैन्य अड्डा नहीं बना सकता है। वहीं दूसरी तरफ सोलोमन द्वीप के साथ हुए करार के तहत वहां पर वो अपनी सेना को भेज सकता है। इसलिए भारत को इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
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