नई दिल्ली। Citizenship amendment law: देश में एक बार फिर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का मुद्दा उठने वाला है। सीएए को लेकर देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट सोमवार यानी 12 सितंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ सीएए को चुनौती देने वाली कम से कम 220 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
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केंद्र सरकार ने 2019 में जारी की थी अधिसूचना
बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में सीएए की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों के लोगोंं को भारत में नागरिकता दी जानी थी। इसे 10 जनवरी 2020 को लागू किया गया था। इसके खिलाफ देशभर में व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन हुआ था।
देशभर में हुआ था विरोध
सीएए (Citizenship amendment law) के खिलाफ याचिकाओं पर सबसे पहले 18 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस पर आखिरी बार 15 जून, 2021 को सुनवाई हुई। सीएए को 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने पारित किया था, जिसके बाद पूरे देश में इसका विरोध हुआ था।
कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं ने दाखिल की याचिका
केरल स्थित एक राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटिजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कानून के छात्र उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी।
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