पटना: Anand Mohan Case बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नीतीश सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन को जेल के नियमों में संशोधन कर 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। बिहार सरकार के इस फैसले को कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। कोर्ट की इस कार्रवाई का कृष्णैया की पत्नी ने स्वागत किया है।
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आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा, हम खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और नीतीश सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है और 15 दिन के भीतर उनसे जवाब मांगा है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा, क्योंकि मैं अकेली नहीं हूं, पूरा देश मेरे साथ है।
कृष्णैया की पत्नी बोलीं- अच्छा संकेत है ये
जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार हो गई। इसके बाद उन्होंने कहा, ये अच्छा संकेत है। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट हमारे साथ जरूर न्याय करेगा। सर्वोच्च न्यायालय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके फैसले को वापस लेने का आदेश देगा। उमा देवी की ओर से दायर याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गई है। इस पर आज सुनवाई है। बता दें कि जब आनंद मोहन की रिहाई हुई थी, तब उमा कृष्णैया ने कहा था कि ये वोटबैंक की राजनीति है। बिहार सरकार ने राजपूत वोटों के लिए आनंद मोहन की रिहाई की है।
पूर्व सांसद आनंद मोहन को 5 दिसंबर 1994 को हुई डीएम कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक मुकदमा चला। इसके बाद साल 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तब से वे बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहे थे। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल के नियमों में संशोधन कर 27 कैदियों को रिहा किया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल थे। आनंद मोहन की रिहाई पर खूब सियासी बवाल मचा, लेकिन इस पर आनंद मोहन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।
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