Russia Ukraine War Impact: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग तेज हो चुकी है। हमले के निर्णय को गलत बताते हुए अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अब इन प्रतिबंधों का असर भी दिखाई देने लगा है। रूसी मुद्रा रूबल धराशायी हो चुकी है, बाजारों में हाहाकार मचा है, बैंकों फॉरेन रिजर्व पर रोक लग चुकी है और देश के बड़े बैंकों की हालत पस्त हो चुकी है।
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग तेज हो चुकी है। युद्ध बढ़ने के साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ दुनियाभर के देशों का आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। हमले के निर्णय को गलत बताते हुए अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अब इन प्रतिबंधों का असर भी दिखाई देने लगा है। रूसी मुद्रा रूबल धराशायी हो चुकी है, बाजारों में हाहाकार मचा है, बैंकों फॉरेन रिजर्व पर रोक लग चुकी है और देश के बड़े बैंकों की हालत पस्त हो चुकी है। इस बीच एपल और नाइकी जैसी दिग्गज कंपनियों ने भी रूस को जोरदार झटका दिया है। ऐसे में ये कहना गलत न होगा कि युक्रेन से युद्ध रूस पर भारी पड़ रहा है।
एपल ने उठाया बड़ा कदम
अमेरिकी टेक दिग्गज और दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी एपल ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रूस में अपने सभी उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एपल ने अन्य सेवाओं को भी सीमित कर दिया है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि Apple Inc. ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस में आईफोन और उसके अन्य ज्यादातर उत्पादों की बिक्री को रोक दिया है। एपल ने जोर देकर कहा कि कंपनी उन सभी लोगों के साथ है जो हिंसा से पीड़ित हैं। यही कारण है कि देश के 14.5 करोड़ लोगों वाले देश में अपनी सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी हैं।
एपल की राह पर आगे बढ़ा नाइकी
एपल की ओर से रूस में उत्पादों की बिक्री पर रोक और अन्य सेवाओं पर प्रतिबंध के बाद कंपनी के शेयर सत्र के निचले स्तर पर आ गए। इस फैसले के बाद हालांकि, कंपनी के शेयर 1.2 फीसदी टूटकर 163.20 डॉलर पर बंद हुए। एपल के साथ एथलेटिकवियर निर्माता नाइकी ने भी उसकी राह पर कदम आगे बढ़ाते हुए रूस में अपने उत्पाद की बिक्री को रोकने की घोषणा कर दी। दुनिया की इन दो बड़ी कंपनियों की ओर से उठाए गए इस कदम को रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
लंबे समय में दिखेगा प्रतिबंधों का असर
गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद एक के बाद एक अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान सहित कई देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध (Russia Ukraine War Impact) लगाए हैं। अमेरिका ने तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पर यात्रा तक को प्रतिबंधित कर दिया है। दरअसल, पश्चिमी देश रूस की आक्रामकता का जवाब देने के लिए इन प्रतिबंधों को सबसे ज्यादा कारगर मान रहे हैं। भले ही इन प्रतिबंधों के असर के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा, क्योंकि कम समय में इन प्रतिबंधों का प्रभाव संभवत: नहीं दिखेगा, लेकिन ये व्यापक हैं और लंबे समय में बेहद बुरा असर दिखा सकते हैं।
सबसे बड़े बैंकों पर प्रतिबंध
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने रूस पर एकतरफा और सामूहिक रूप से कई आर्थिक व राजनयिक प्रतिबंध लागू किए हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने सबसे आगे आकर रूस के पांच सबसे बड़े बैंक सबरबैंक, वीटीबी बैंक, नोविकोम्ब बैंक, प्रॉम्स्व्याज बैंक, ऑट्क्रीटि बैंक पर प्रतिबंध लगाए हैं। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी अमेरिका के कदम से कदम मिलाया है। तो जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना को रोकने का संकेत दिया है। अमेरिका के साथ ही पोलैंड, चेक गणराज्य, बुल्गारिया और एस्तोनिया ने रूसी विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है।
फॉरेन रिजर्व पर रोक का प्रयास
रूस के खिलाफ कार्रवाई के तहत यूरोपियन यूनियन ने सेंट्रल बैंक ऑफ रसिया के रिजर्व असेट का मैनेजमेंट पूरी तरह से रोक दिया है। युद्ध शुरू होने के बाद शनिवार को रूस पर SWIFT फाइनेंशियल पेमेंट पर बैन लगाया गया था। इसके अलावा रूस के करीब 640 बिलियन डॉलर रिजर्व पर भी रोक लगाने की कोशिश की गई, जिससे कि वह इस फंड का इस्तेमाल न कर पाए। गौरतलब है कि स्विफ्ट इंटरनेशनल पेमेंट पर बैन की वजह से रूस की करेंसी रूबल पर भारी दबाव देखने को मिल रहा है।
Russia Ukraine War Impact: स्विफ्ट से दूरी का बड़ा असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे कड़ा प्रतिबंध रूस के वित्तीय तंत्र को स्विफ्ट से अलग रखना है। दरअसल, स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन से संबंधित है और इससे दुनियाभर के 200 से अधिक देशों के 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान जुड़े हुए हैं। इसका बड़ा उदाहरण ईरान है। साल 2012 में स्विफ्ट ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान के बैंकों को अलग कर दिया था। इससे ईरान का तेल निर्यात राजस्व आधे से भी कम हो गया था। अब यही हालात रूस के भी हो सकते हैं।
प्रतिबंधों का बाजार पर प्रभाव
युक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर तुरंत दिखाई दिया और रूस का शेयर बाजार बुरी तरह से टूट गया। मोएक्स इंडेक्स में 33 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही रूसी करेंसी रूबल का बुरा हाल है और सोमवार को रूबल 30 फीसदी से ज्यादा टूट गया। इस उथल-पुथल का देश के अरबपतियों पर भी बेहद बुरा असर पड़ा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूसी करेंसी रूबल 117 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई थी।
डिजिटल भुगतान सेवाएं प्रतिबंधित
अमेरिका द्वारा रूस पर वित्तीय प्रतिबंधों (Russia Ukraine War Impact) के बाद रूसी ग्राहकों को एपल-पे और गूगल-पे सेवाओं का उपयोग करने से रोका गया है। रूस में कई बैंकों के ग्राहकों ने बताया कि वे इन डिजिटल भुगतान प्लेटफार्म के साथ अपने बैंक कार्ड का उपयोग करने में असमर्थ हैं। इस संबंध में सेंट्रल बैंक ऑफ रसिया ने भी कहा कि प्रतिबंधों के तहत आने वाले बैंकों के ग्राहक विदेशों में इन बैंकों के कार्ड से भुगतान नहीं कर पाएंगे। यानी जिन बैंकों को प्रतिबंधित किया गया है उनके कार्ड का उपयोग एपल-पे, गूगल-पे सेवाओं के साथ नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि रूस के 29 फीसदी लोग गूगल-पे और 20 फीसदी एपल-पे का इस्तेमाल करते हैं।
बड़ी कंपनियों ने रूस से किया किनारा
पश्चिमी देशों की ओर से लगातार लगाए जा रहे प्रतिबंधों के कारण रूस के अहम उद्योगों को बड़ा झटका लगा है। इस बीच पेट्रोलियम कंपनी शेल ने रूस के स्वामित्व वाली गैस कंपनी गैजप्रोम के साथ सभी साझा उपक्रम बंद करने का एलान किया है। तो दूसरी ओर ब्रिटिश पेट्रोलियम यानी बीपी ने बीते दिनों घोषणा की थी कि वह रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है। इसके अलावा, दिग्गल वाहन निर्माता कंपनी वोल्वो ने कहा है कि वह रूस में ट्रक बनाने की अपनी फैक्ट्री बंद कर रही है। मर्सिडीज ने भी एक कदम आगे आते हुए रूसी ट्रक निर्माता के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने की बात कही।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी करारी चोट
एक के बाद एक लगाए जा रहे आर्थिक प्रतिबंधों (Russia Ukraine War Impact) को लेकर पश्चिमी देशों की ओर से साफ कर दिया गया है कि रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों का मकसद रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को उनके फैसले के खिलाफ दंडित करना है। अब तक घोषित प्रतिबंधों के जरिए रूस की बैंकिंग और वित्तीय व्यवस्था को निशाना बनाया गया है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूसी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाना है। फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रून ली मेयर ने मंगलवार को एक फ्रेंच टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि हम ऐसी स्थिति पैदा कर देंगे, जिससे रूसी अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी।
रूस के अमीरों का हाल-बेहाल
हालिया जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, बीत 16 फरवरी के बाद से रूस और यूक्रेन संकट के कारण देश के 116 अरबपतियों को 126 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हो चुका है। अगर ये युद्ध और आगे खिंचता है तो इनकी दौलत में और भी गिरावट आएगी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बीते हफ्ते गुरुवार को यूक्रेन पर आक्रमण शुरू होने के बाद रूस का मोएक्स इंडेक्स 33 फीसदी तक टूटकर बंद हुआ था और रूबल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने के बाद बंद हुआ था। सिर्फ, गुरुवार को ही अरबपतियों को अनुमानित 71 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा था। गुरुवार को रूस के पांच सबसे अमीर अलेपेरोव, मिखेलसन, मोर्दशोव, पोटानिन और केरीमोव को सबसे ज्यादा घाटा हुआ।
प्रतिबंधों को इस तरह समझें
दरअसल, प्रतिबंध ऐसे कठोर कदम हैं, जो देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर लागू होते हैं। ये प्रतिबंध समग्र रूप से या व्यापार को निशाना बनाकर लगाए जाते हैं। आर्थिक प्रतिबंध बहुआयामी होते हैं और इनमें यात्रा प्रतिबंध और वित्तीय प्रतिबंध भी शामिल होते हैं। वित्तीय प्रतिबंधों के तहत संपत्तियों को फ्रीज करने के अलावा वित्तीय बाजार और सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया जाता है। बहरहाल, रूस के खिलाफ भी ऐसे प्रतिबंधों की झड़ी लगी हुई है। रिपोर्ट में एक रूसी राजनयिक के हवाले से कहा गया है कि यूक्रेन के खिलाफ छिड़े युद्ध के चलते प्रतिबंधों का रूस की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम पर नकारात्मक असर होगा। उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अस्थिर होगी, क्योंकि इससे डर और अविश्वास का माहौल पैदा होगा।
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