Delhi Ordinance : दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस में ही रार, AAP नेता बोले- बिल का विरोध करना गलत

0
77

नई दिल्ली। Delhi Ordinance : आज राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा संशोधित विधेयक लोकसभा में पेश नहीं किया गया। यह जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी है। देश के विभिन्न विपक्षी दलों से अरविंद केजरीवाल ने इस बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग की। जहां कांग्रेस ने केजरीवाल का समर्थन देने का दावा किया है, वहीं दिल्ली के दिग्गज कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने पार्टी से अलग अपना पक्ष रखा है।

Yogi Adityanath : ज्ञानवापी पर CM योगी ने कहा- ऐतिहासिक गलती पर आगे आए मुस्लिम समाज

‘इस बिल का विरोध गलत’

दिल्ली अध्यादेश बिल पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का कहना है, “लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है, ये बिल सदन में पास होना चाहिए। ये बिल दिल्ली की स्थिति के मुताबिक है। अगर आप दिल्ली को शक्तियां देना चाहते हैं तो, ये पूर्ण राज्य बनाया जाना चाहिए। मेरी राय में इस बिल का विरोध करना गलत है।”

क्या है सरकार का अध्यादेश (Delhi Ordinance)

एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविस सर्विस अथॉरिटी होगी. इसमें सीएम, चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल होम सेक्रेटरी होंगे. अथॉरिटी ग्रेड ए ऑफिसरों और दिल्ली में पोस्टेड दानिक्स ऑफिसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करेंगे. अथॉरिटी एलजी को सिफारिश भेजेगी, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग, विजिलेंस और इंसिडेंटल मामले होंगे. अथॉरिटी बहुमत से फैसला लेगी, अगर ओपिनियन में अंतर होगा तो फिर एलजी फाइनल फैसला लेंगे.

नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट (Delhi Ordinance)  में बदलाव किया गया है. इसके तहत एलजी को ऑफिसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि में अधिकार दिया गया है. दिल्ली देश की राजधानी है और ऐसे में देशवासियों का इसमें हित जुड़ा हुआ है. दिल्ली का प्रशासन कैसा हो इस पर देश की नजर है. ऐसे में व्यापक देशहित में जरूरी है कि दिल्ली का प्रशासन चुनी हुई केंद्र सरकार के जरिए हो. केंद्र सरकार दिल्ली के मामले में तय करेगी कि ऑफिसर का कार्यकाल क्या हो, सैलरी, ग्रेच्युटी, पीएफ आदि भी तय करेगी. उनकी पावर, ड्यूटी और पोस्टिंग भी केंद्र तय करेगी. किसी पद के लिए उनकी योग्यता, पेनल्टी और सस्पेंशन आदि की पावर भी केंद्र के पास ही होगी.

कैसे पास होता है अध्यादेश

संविधान के अनुच्छेद 123 में राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्तियों का वर्णन है. अगर कोई ऐसा विषय हो जिस पर तत्काल कानून बनाने की जरूरत हो और उस समय संसद न चल रही हो तो अध्यादेश लाया जा सकता है. अध्यादेश का प्रभाव उतना ही रहता है जितना संसद से पारित कानून का होता है. इन्‍हें कभी भी वापस लिया जा सकता है. अध्यादेश के जरिए नागरिकों से उनके मूल अधिकार नहीं छीने जा सकते. केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करते हैं चूंकि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है. ऐसे में अध्यादेश को संसद की मंजूरी चाहिए होती है. 6 महीने के भीतर इसे संसद से पास कराना जरूरी होता है.

Jaipur Mumbai Train Firing : जयपुर एक्सप्रेस ट्रेन में फायरिंग, 4 लोगों की मौत