महाबाहु-ब्रह्मपुत्र योजना का प्रधानमंत्री मोदी ने किया शुभारंभ

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार के दिन असम में कई परियोजनाओं को हरी इंडी दिखाई। इस दौरान प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाबाहु-ब्रह्मपुत्र योजना का शुभारंभ किया और दो पुलों (धुबरी फूलबारी पुल और मजुली पुल) की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब असम का विकास प्राथमिकता में है। इसके लिए दिन रात प्रयास हो रहा है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि

गुलामी के कालखंड में भी असम देश के सम्पन्न और अधिक राजस्व देने वाले राज्यों में से था। कनेक्टिविटी का नेटवर्क असम की समृद्धि का बड़ा कारण था। आजादी के बाद इस इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना जरूरी था, लेकिन इन्हें अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया। अब असम का विकास प्राथमिकता में भी है, इसके लिए दिन रात प्रयास भी हो रहा है। बीते 5 वर्षों में असम की मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं।

पहले काम नहीं होने से नार्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी एक चुनौती बनी रही

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि   महाबाहु-ब्रह्मपुत्र योजना पर कनेक्टिविटी से जुड़े जितने काम पहले होने चाहिए थे, उतने पहले नहीं हुए। इसकी वजह से असम और नार्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी एक चुनौती बनी रही। महाबाहु ब्रह्मपुत्र के आशीर्वाद से अब इस दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बीते वर्षों में केंद्र और असम की डबल इंजन सरकार ने इस पूरे क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृतिक दोनों प्रकार की दूरियों को कम करने का प्रयास किया है। असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की भौतिक और सांस्कृतिक अखंडता को बीते सालों में सशक्त किया गया है।

असमवासियों की वर्षों पुरानी मांग आज भूमिपूजन के साथ ही पूरी होनी शुरू हुई

धुबरी फूलबारी पुल को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि असम और मेघालय के बीच की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 250 किलोमीटर है। भविष्य में, यह केवल 19-20 किलोमीटर होगा। यह पुल अन्य देशों को यातायात के अंतरराष्ट्रीय आवागमन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि असमवासियों की वर्षों पुरानी मांग आज पुल के भूमिपूजन के साथ ही पूरी होनी शुरू हो गई है। कालीबाड़ी घाट से जोरहाट को जोड़ने वाला 8 किमी का ये पुल मजूली के हजारों परिवारों की जीवन रेखा बनेगा। ये ब्रिज आपके लिए सुविधा और संभावनाओं का सेतु बनने वाला है।

आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए इस व्यापक विजन को विस्तार देने वाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए इस व्यापक विजन को विस्तार देने वाला है। मजूली में असम का पहला हैलीपोड भी बन चुका है। अब मजूलीवासियों को सड़क का भी तेज और सुरक्षित विकल्प मिलने वाला है। आपकी वर्षों पुरानी मांग आज पुल के भूमि पूजन के साथ शुरु हो गई है। ब्रह्मपुत्र और बराक सहित असम को अनेक नदियों को जो सौगात मिली है। उसे समृद्ध करने के लिए आज महाबाहु ब्रह्मपुत्र कार्यक्रम शुरु किया गया है। ये कार्यक्रम ब्रह्मपुत्र के जल से इस पूरे क्षेत्र में वॉटर कनेक्टिविटी को सशक्त करेगा।

धुबरी और फूलबाड़ी के बीच की दूरी 203 किलोमीटर कम हो जाएगी- गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि महाबाहु-ब्रह्मपुत्र योजना नदी पर एक पुल की मांग 10 साल पुराना है। इसके साथ, धुबरी और फूलबाड़ी के बीच की दूरी 203 किलोमीटर कम हो जाएगी। इस पुल के माध्यम से असम और मेघालय, पश्चिम बंगाल से सीधे जुड़ जाएंगे। पश्चिम बंगाल के सेरामपुर से असम में धुबरी तक 55 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण इस अक्टूबर से शुरू होगा। पुल से भूटान और बांग्लादेश की यात्रा के लिए दूरी कम होगी और समय की बचत होगी।

निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना उद्देश्य

बता दें कि इस परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वी हिस्सों में निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इसमें ब्रह्मपुत्र और बराक नदी के आसपास रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न विकास गतिविधियां शामिल हैं। प्रस्तावित धुबरी फूलबाड़ी पुल NH-127B पर स्थित होगा, जो NH-27 (East-West Corridor) में श्रीरामपुर से शुरू होकर मेघालय में NH-106 पर नोंगस्टोइन पर समाप्त होता है। यह असम में धुबरी को मेघालय के फूलबाड़ी, तुरा, रोंग्राम और रोंगजेंग से जोड़ेगा। लगभग 4,997 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह पुल असम और मेघालय के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगा, जो नदी के दो किनारों के बीच यात्रा करने के लिए फेरी सर्विस पर निर्भर हैं।

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