नई दिल्ली। Chief Justice Of India भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना मंगलवार, 13 मई को सेवानिवृत्त हो गए और उन्होंने अपना कार्यभार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण (बीआर) गवई को सौंप दिया। न्यायमूर्ति गवई बुधवार, 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी।
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जस्टिस खन्ना द्वारा नाम की अनुशंसा के बाद हुई नियुक्ति
निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस खन्ना ने उनके नाम की अनुशंसा केंद्र सरकार को की थी। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 23 दिसंबर को पद से मुक्त हो जाएंगे। वह वर्तमान चीफ जस्टिस खन्ना के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं।
जस्टिस गवई को लंबा न्यायिक अनुभव
24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई को 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर, 2005 को हाईकोर्ट के स्थायी जज बने। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं।
कौन हैं जस्टिस गवई?
जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 24 नवंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में उन्होंने 14 नवंबर 2003 को अपनी न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर जज वो मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी के विभिन्न पीठों पर काम कर चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इन अहम फैसलों का हिस्सा थे गवई
आर्टिकल 370 हटाए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिन पांच मेंबर वाली संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही थी, उनमें जस्टिस गवई भी थे।
राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी गवई हिस्सा थे।
नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाले बेंच में भी वो शामिल थे।